व्ही.एस.भुल्ले, विलेज टाइम्स समाचार सेवा। समीक्षा हार-जीत की म.प्र. की राजनीति में जो भी हो। मगर संभावित सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।...
व्ही.एस.भुल्ले, विलेज टाइम्स समाचार सेवा। समीक्षा हार-जीत की म.प्र. की राजनीति में जो भी हो। मगर संभावित सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। जो कि क्रूर सियासत, भ्रष्टाचार, रोजगार, पीड़ित, वंचित, किसान, अहम, अहंकार, विद्ववानों का तिरस्कार और आंकड़ों का कारोबार ले डूबा सरकार। अगर जीत वालों को ही ले तो वहां भी सेवा कल्याण के लिए निष्ठा पूर्ण संघर्ष करने वालों को दरकिनार कर आमजन, कार्यकर्ताओं की आशा-आकाक्षाओं के अनुरूप उनके साथ काॅग्रेस आलाकमान न्याय नहीं कर सका।
जिसकी रामलीला मैदान ही नहीं, कई मंचों पर काॅग्रेस आलाकमान ने दलील दी थी कि यह मंच उन सघर्षशील कार्यकर्ताओं के लिए खाली रखा गया है और किसी भी आसमानी नेता को स्थान नहीं होगा। मगर म.प्र. की सियासत में फिलहाल सियासी सच यह है कि विगत 15 वर्षो में 10 वर्ष का राजनैतिक सन्यास और 5 वर्ष तक प्रदेश के बाहर सियासी जबावदेही लेने वाले मुख्य सियासी मुद्रा में है और केन्द्र की सरकार में सत्ता सुख भोगने वाले सत्ता की प्रमुख भूमिका में। जिन्हें 1 वर्ष पूर्व ही आसमान से उतार म.प्र. में मुखिया बतौर स्थापित किया गया।
देखा जाए तो राजस्थान में तो सड़कों के संघर्ष ने संघर्ष को सत्ता में सम्मान और संगठन में स्थान देने का काम कर लिया। मगर म.प्र. में सत्याग्रह के नाम से विगत 15 वर्षो तक संघर्ष करने वाला काॅग्रेस का सिपाही दल के भविष्य को लेकर कुर्बान हो गया। मगर सबसे दुःखत विषय तो म.प्र. की सियासत के लिए यह है कि उसने षड़यंत्रकारी सियासत के चलते एक ओर जहां एक सक्षम, समर्थ, सेवा भावी नेतृत्व खो दिया। जिसके लिए न तो यह प्रदेश, न ही इस प्रदेश की महान जनता दोषी है। बल्कि अगर कोई दोषी है तो वह सरकार के सहयोगी, शासक जिन्होंने अपना दायित्व निष्ठापूर्ण ढंग से निर्वहन कर क्रियान्वयन को अन्तिम अंजाम तक नहीं पहुंचाया। जो स्वार्थी, चापलूस, चाटूकारों से घिर प्रदेश के गांव, गली, पीड़ित, वंचित, गरीब, किसान, बेरोजगारों की आशा-आकाक्षाओं को नहीं समझ सके।
बहरहाल जनाक्रोश से भरा जनमत सामने है और सेवा कल्याण का मार्ग अभी भी कंटक भरा। देखना होगा कि जबरदस्त सियासी उठा-पटक के बीच सत्ता में काबिज होने आतुर वहीं मंडली जिसके कर्मो का दंश काॅग्रेस म.प्र. में 15 वर्षो तक भोगती रही। उस कारवां से म.प्र. के आम काॅग्रेस कार्यकर्ता और म.प्र. के गांव, गली, गरीब, पीड़ित, वंचित, गरीब, किसान, बेरोजगारों को कितना न्याय मिल पाता है, यह समझने वाली बात होगी।
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