विलेज टाइम्स समाचार सेवा। अगर अपुष्ट सूत्रों की माने तो आरटीओ बैरियों पर कटरों के माध्यम से होने वाली वैध-अवैध बसूली यूं तो किसी से छिप...
विलेज टाइम्स समाचार सेवा। अगर अपुष्ट सूत्रों की माने तो आरटीओ बैरियों पर कटरों के माध्यम से होने वाली वैध-अवैध बसूली यूं तो किसी से छिपी नहीं। जिसके चलते सरकार ने पूर्व में इन्हें बंद किया गया था। मगर म.प्र. सरकार की माली हालत के मद्देनजर इन्हें हाल ही में पुन: शुरु किया गया है।
अभी बैरियर शुरु हुए 2 दिन भी नहीं हुए कि पूर्व में करोड़ों का राजस्व और करोड़ों की कटर वसूलने वाले म.प्र., उ.प्र. की सीमा पर बने सिकन्दर बैरियर पर वसूली को लेकर बवाल कट गया। इसी बीच मारपीट ही नहीं, जमकर हवाई फायरिंग भी हुई और पुलिस को मय हथियार हस्तक्षेप करना पड़ा। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ कायमी भी हुई है। सूत्रों की माने तो पूर्व कटर रही पार्टी द्वारा वर्तमान हस्तक्षेप करने वाली पार्टी के साथ मारपीट कर अपहरण का प्रयास किया गया। जिसे पुलिस ने असफल कर अपहत को छुड़ा लिया गया।
मगर यहां यक्ष सवाल यह है कि सरकार को आखिर बंद बैरियरों को आनन-फानन में शुरु करने की क्या आन पड़ी है। अगर म.प्र. के सामने आर्थिक परेशानी थी तो उसे अन्य नीति के तहत दुरुस्त किया जा सकता या पर्याप्त स्टाफ तैनात कर राजस्व जुटाया जा सकता था। मगर ऐसा न होकर आखिर कटर या पठानी बसूली को ही अघोषित तौर पर प्रश्य क्यों दिया गया। कारण साफ है कि बगैर कोई सार्थक नीति न्योक्ताओं के क्रियान्वयन की आदत जो सरकार को पड़ गई है। ऐसे में अवैध कटरों की पठानी बसूली के लिए छिड़े महासंग्राम से अब इन नाकों से गुजरने वालों का क्या होगा यह तो भगवान ही जाने। मगर ऐसे में 50 वर्षो तक सत्ता में रहने मंसूबा पालने वालों पर सवाल उठना लाजमी है। क्योंकि ऐसा नहीं कि सिकन्दरा बैरियर पर ही ऐसा चल रहा है। अगर इसी जिले के खरई बैरियर या म.प्र. के अन्य बैरियरों पर नजर दौड़ाई जाये तो जो म.प्र. को अन्य राज्यों से जोड़ते है। तो सभी दूर पठानी बसूली का आलम यही है।
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