धर्मेन्द्र सिंह गुर्जर, दि.एम.पी.मिरर समाचार सेवा। शिवपुरी। शिवपुरी जैसे सुन्दर शहर की दुर्दशा को लेकर अब यह चर्चा सरगर्म है कि शिवपुरी म...

मगर अब मु य सडक़ों पर गड्डें, दल-दल, कीचड़, ऊबड़- खाबड़ नालियां, ऊंट पुल की शक्ल में नालियों के ऊपर ऐप्रोच पुल-पुलियां सडक़ पर गस्त करते आवरा पशुओं की सरायें एवं गलियों मोहल्लों में खोलते सीवर के गड्डे वर्षो से नलों से नदारद पेयजल, जमीदोष हो, सूख चुके कुंए, कॉलोनियों में तब्दील तालाब और शहर से सटे जंगलों का उजाड़ उजड़ चुके चौराहे इस बात के गवाह है कि दुसाहसियों ने किस बेरहमी से सत्यानाश किया है। रोजगार विहीन शहर की राजनीति का आलम यह है कि नवउदित राजनीति मानों अच्छे राजनेताओं, जनप्रतिनिधियों को राजनीति से उखाड़ फेकने की कसम खा रखी हो। इसलिये आये दिन मनगड़ंत रुमरों के माध्यम से उनकी छवि खराब करने का अभियान चलाए रखते है। इंजीनियरिंग के नाम पर बदनुमा दाग बनी मशीनरी इतनी बेशर्म और दुसाहसी हो चुकी है। कि वह सार्वजनिक और प्रशासनिक मंच से सरेयाम झूठ बोलने तक से गुरेज नहीं करती और बैवस जनता और जनप्रतिनिधि इनके दुसाहसाहस पूर्ण कार्य व्यवहार को झेलने पर मजबूर है।
देखना होगा कि इस शहर और इस शहर की राजनीति के दिन कब फिरते है जब यह शहर अपने पुन: अपने पुराने स्वरुप और सेवाभावी राजनीति के रुप में दिखेगा।
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