वीरेन्द्र शर्मा, विलेज टाइम्स समाचार सेवा। राष्ट्र-जन की खातिर कॉग्रेस का हाथ थामें, अपने गौरव, वैभव, ऐश्वर्य यहां तक कि अपनी जान की परवा...

जिस तरह से लंबे इन्तजार के बाद म.प्र.में बड़ी रस्सा-कसी के बाद नये प्रदेश अध्यक्ष के साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष और उसकी ज बो जेट कार्यकारणी का गठन वह भी चुनाव के ठीक 6 माह पूर्व जिसमें 19 उपाध्यक्ष 25 महासचिव 40 सचिव कुल 51 जिलों वाले म.प्र. में 84 प्रदेश पदाधिकारियों के साथ स्वयं प्रदेश अध्यक्ष सहित कार्यकारणी अध्यक्ष जोड़ ले तो 90 के करीब बैठते है। जिसमें चुनाव अभियान समिति समन्वय समितियां अलग।
देखा जाये तो जितनी भी समितियां या नवीन कार्यकारणी में जो नाम लिस्टबद्ध हुए है उनमें नये नामों की घोर उपेक्षा के साथ गुटीय आधार पर मिले नामों की जंबो टीम के गठन से स्पष्ट हो जाता है। कि आलाकमान या फिर स्वयं राहुल गांधी कितने ही प्रयास कर ले। म.प्र. कॉग्रेस में अब सुधार संभव नहीं। अगर नवीन कार्यकारणी लिस्ट को देखा जाये तो जिन पुराने ही लोगों को गुठीय आधार पर स्थान मिला है। अगर वह इतने ही सक्षम थे तो वह 14 वर्षो में ऐसा कोई चमत्कार क्यों नहीं कर सके। जिसके अभाव में कॉग्रेस को आज यह दिन देखना पड़ रहे है। कि सत्ताधारी दल लगातार मनमानी और जनधन के दुरुपोग के साथ कॉग्रेस को निस्तनाबूत करने में सक्षम, सफल हो पा रहा है।
यहां ध्यान देने योग्य बाद यह भी है कि जो विधायक दल लगभग अंतिम विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव सत्ताधारी दल के खिलाफ लाया और सरकार ने अपनी निर्धारित रणनीत जैसा कि वह विगत 14 वर्षो से विधानसभा सत्र हो हल्ला के नाम स्थिगित कराती आई है। सिवाये बजट पास करने के। क्या कॉग्रेस विधायक दल को सरकार की इस रणनीति का ज्ञान नहीं था यह यक्ष प्रश्न आज भी चर्चा का विषय है। जबकि विधायक दल चाहता तो 14 वर्ष पुरानी सरकार को सबक सिखाने व सरकार की कारगुजारी जनता के सामने विधानसभा प्रश्रों के माध्यम से वह जानकारी जुटा सदन को चुपचाप बैठ चलवा सकती थी और प्राप्त तथ्यों के आधार पर सडक़ से लेकर चुनावों तक सरकार की कारगुजारी जनता के बीच ले जा सकती है।
मगर दुर्भाग्य कि न तो विधायक दल ही अपने कर्तव्य निर्वहन कि वह मिशाल प्रस्तुत कर सका और न ही संगठनात्मक स्तर पर आशा-आकांक्षा पाले असल कॉग्रेसियों को कॉग्रेस में वो सम्मान और स्थान मिल सका जिसके वह पात्र ही नहीं, हकदार भी थे। मगर यह यक्ष प्रश्र आज कॉग्रेस आलाकमान व नये नवेले राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल के लिए अवश्य चिन्तन और विषलेषण योग्य है। कि आखिर कॉग्रेस में बड़े-बड़े उस्तादों के रहते ऐसा हो क्यों रहा। इस पर भी विचार स्वयं कॉग्रेस अध्यक्ष को अवश्य करना चाहिए।
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