व्ही.एस.भुल्ले, विलेज टाइम्स समाचार सेवा : सच जो भी हो, मगर जिस तरह के अल्फाज सोशल मीडिया या चर्चाओं में आजकल सुर्खियां बन रहे है वह बड...

वैसे भी हमारे समाज में यह कहावत प्रबल रही है कि सवल का जब हाथ चलता है या सत्ता का जब दबाव चलता है तो निर्बल का फिर मुंह चलता है। सो ऐसे में पागल विकास या पगलाई सेवा को लेकर सवाल हो रहे है, तो ऐसे में सवालकर्ता और सेवा और विकास की समीक्षा अवश्य बनती है। और जिसकी शुरुआत भी सक्षम, सफल, व्यवस्था या व्यक्तियों को करना चाहिए। जिससे महान लेाकतांत्रिक व्यवस्था में कुतर्क पूर्ण सवाल और मिथ्यापूर्ण जबाव न बन सके। तभी हम इस महान लोकतंत्र को नई ऊंचाईयों तक ले जा पायेगें, नहीं तो इसी प्रकार तल्क अल्फाज, सनसनी तो मिथ्या जबाव समाज के मार्गदर्शक बन जायेगें।
आखिर किसी भी सभ्य समाज और उस पर टिके लोकतंत्र में गर्व, गौरव और गरिमा भी तो शब्द है जिस पर समुचा समाज ही नहीं, लोकतंत्र भी नाज करता है। इसीलिये चर्चा जब भी हो, जैसी भी हो, गर्व, गौरव और गरिमा का याल लोगों को अवश्य रखना चाहिए फिर वह सोशल मीडिया को या फिर चौपाल।
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