विलेज टाइम्स समाचार सेवा, व्ही.एस.भुल्ले: प्राय: हमारे महान लोकतंत्र में लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाये जाने की जगह चुनावों के ऐन वक्त य...

तो दूसरी ओर नैसर्गिक सुविधाओं से मेहरुम होना पड़ रहा है। क्योंकि न तो हम अपने नागरिकों को वह शिक्षा, स्वास्थ, संसाधन, सुरक्षा मुहैया करा सके जिसके लिये वह अभी तक हुये चुनावों में इस आशा आकांक्षा के साथ अपना बहुमूल्य मत दे, अपने जनप्रतिनिधि सरकारों को चुनती आयी है कि उनका और उनकी आने वाली पीढ़ी का भविष्य बेहतर बन सकेगा। और उनकी इन आशा आकांक्षाओं को बनने वाली सरकारों का पूरा संरक्षण मिलेगा। मगर उनकी यह आशा आकांक्षायें अभी तक फलीभूत नहीं हो सकी। जिनका सपना दिखा, आज तक चुनाव लडऩे वाले जनप्रतिधि और दल वोट कबाड़ अपने-अपने पक्ष में बड़ा जनसमर्थन जुटा, सत्ता सुख भोगते रहे है। झूठ की संस्कृति पर खड़ी सत्तायें आखिर क्यों अक्षम असफल साबित होती रही, यह तो वहीं जाने।
मगर देश के जागरुक महान नागरिकों को सोचना होगा जब तक चुनावी मुद्दें, शिक्षा, स्वास्थ, संसाधन, सुरक्षा से जुड़े नहीं होगेें, और चुनावों में वाट मांगने वाले लोग अपने कर्तव्य और जबावदेहियों पर खरे नहीं उतरेगें तब तक चुनावी रंगगत बदल अपने मंसूबे पूरे करने वाले उस्ताद और अंधभक्त इसी तरह के मुद्दें उछाल सत्तायें हासिल करते रहेगें। जब तक आम मतदाता उन वोट मांगने वालो को अपनी स्पष्ट आशा आकांक्षाओं का एहसास चुनावों के दौरान नहीं करा देते, तब तक उन्हे, न तो ऐसे नेता, दल व व्यक्ति को वोट देना चाहिए जो अपने उस्ताद, अंध भक्तों के सहारे चुनावों में जनता को बेहका जीत हासिल कर, अपनी जबावदेही और कर्तव्यों से विमुख हो जाते है। ऐसे में जागरुक जनता को लोकतंत्र की मजबूती के लिये न तो किसी बहाब में बहना चाहिए और किसी के बहकावे में आना चाहिए।। बल्कि चुनावों के दौरान अपने बहुमूल्य मत के द्वारा सच्चे, अच्छे कर्तव्य निष्ठ जबावदेह लोगों को वोट दें, चुनना चाहिए। तभी हम एक मजबूत, शसक्त, लोकतंत्र बन, लोगों का जीवन, समृद्ध, खुशहाल बना पायेगें और अपनी आशा आकांक्षाओं को फलीभूत होता देख पायेगें।
जय स्वराज
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