व्ही.एस.भुल्ले/विलेज टाइम्स। मप्र के मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित मंत्री मण्डल के सदस्य और अफसरों की मंत्री मण्डल विस्तार पश्चात पहली आहुत ब...

ये अलग बात है कि मु यमंत्री की मौजूदगी में आहूत मंत्री अफसरों की बैठक में मंत्री द्वारा सीधे-सीधे मु य सचिव की कार्य प्रणाली पर निशाना साधते हुये कहा कि मैंने छ: करोड़ की गड़बड़ी की एक फाइल मु य सचिव को भेजी थी। जिस पर अफसरों पर जि मेदारी तय होना चाहिए थी और वह फाइल 7 दिन में वापस आ जाना चाहिए थी मगर बगैर जबावदेही तय हुये वह फाइल 11 माह में वापिस आयी।
बहरहाल म.प्र. में यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाने वाला यह हाई प्रोफाइल मामला हो सकता है। जो अब म.प्र. की समुची सरकार के सामने है। मगर गांव गरीबों की लगभग साढ़े 22 हजार सरकारों के साथ हो रहे, विगत 12 वर्षो के अन्याय पर सचिव सी.ईओ. सब इन्जीनियर भोपाल में बैठे अफसरों पर जबावदेही कौन तय करें।
जिन्होंने सरेयाम संविधान की भावना की धज्जियां उड़ा त्रिस्तरीय पंचायती राज को ध्वस्त कर लूट के अड्डों में तब्दील होने पर मजबूर कर दिया है। आज जबकि हिसाब गांव के गरीब, अनपढ़, दबे कुचले सरपंचों से मांगा जाता है और जेल भी उन्हीं गांव के गरीब सरपंचों को भेजा जाता है। मगर अफसरशाही से कोई सवाल नहीं किया जाता है, न ही ऐसी कोई जबावदेही आज तक तय हो सकी, जिससे लगे कि कानून का राज है।
लगता है म.प्र. में लोकतंत्र चन्द नेता और महाभ्रष्ट अफसरों की जागिर सा बन गया है। जो जनभावना ही नहीं जनधन की भी दोनों हाथो से लूट करने में लगे है और चुने हुये जनप्रतिनिधि जेल कचहरी तो आम गरीब आज भी अपने हक के लिये कलफ रहे है।
COMMENTS