विलेज टाइम्स, म.प्र.- जिस तरह की हालिया सूचना सिंधिया जनस पर्क कार्यालय से जारी हुई है अगर वह सच है तो 16 फरवरी को सिंधिया राजवंश के मुखि...

ये अलग बात है कि वह फिलहाल जिस दल से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है उस दल की वैचारिक या क्रार्मिक दृष्टि से गुटीय राजनीति और आलाकमान के सिथिल रवैये के चलते म.प्र. में हालात ठीक नहीं, मगर इसके बावजूद भी वह अपनी लेाकप्रियता के चलते जब तब चुनावों में अपने दल का बजूद बचाने में सफल रहे है वहीं समय-समय पर दल के अन्दर और बाहर, विरोधियों से मिलने वाली कड़ी चुनौतियोंं का भी पूरी द्रणता से सामना करते रहे है, जिनका क्रम आज भी अनवरत जारी है।
मगर उन्हें जिस कड़ी चुनौती का सामना अपने ही दल के अन्दर सक्षम लेाकप्रिय नेता होने के बावजूद विगत कुछ वर्षो से करना पढ़ रहा है। वह किसी से छिपा नहीं। आज भी उनकी उपयोगिता की आवाज मेहर जैसे उपचुनाव से आना उनकी लेाकप्रियता के स्पष्ट संकेत है।
मगर फिलहाल जो कदम उठा आज की राजनीति में यह युवा तुर्क लोकपथ की ओर चल पढ़ा है, वह शायद अब रुकने वाला नहीं।
देखना होगा राजपथ को छोड़ लोकपथ की ओर बढ़े सिंधिया के यह कदम विरोध राजनैतिक प्रतिशोध के चलते कितनी दूरी तय कर पाते है, या फिर अपने आचार विचार अनुसार पूर्व की भांति सभी बाधाओं को लांघ एक ल बी लकीर म.प्र. की राजनीति में खींच पाते है। तब तक म.प्र. की राजनीति में यह सवाल यक्ष ही बना रहेगा।
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