अब इसे शिवपुरी का दुर्भाग्य कहे या फिर सौभाग्य कि शिवपुरी में प्रचलित सबा सौ करोड़ की 2 महा परियोजनायें दम तोड़ती नजर आ रही है। जिसमें 2...
अब इसे शिवपुरी का दुर्भाग्य कहे या फिर सौभाग्य कि शिवपुरी में प्रचलित सबा सौ करोड़ की 2 महा परियोजनायें दम तोड़ती नजर आ रही है। जिसमें 25 वर्ष पुरानी पेयजल मुहैया कराने वाली सिन्ध जलाबर्धन लगभग 82 करोड़, सीवर प्रोजक्ट लगभग 54 करोड़ 1 असल मसला इन दोनों प्रोजक्टो का यह है। कि आधे से अधिक पूरी हो चुकी इन परियोजनाओं पर 50 करोड़ से अधिक रुपये जनता के खर्च हो चुके है। जबकि इन दोनों परियोजनाओं को पूर्ण करने वन, पर्यावरण की स्वीकृति दोनों ही प्रोजक्टों को नहीं, ऐसें में सिन्ध जलाबर्धन का ठेकेदार तो भाग खड़ा हुआ है। वहीं सीवर प्रोजक्ट वाले ठेकेदार की वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर भागने की तैयारी है।
ऐसे में यहां यक्ष प्रश्र यह है कि जनता को खून के आंसू रुलाने वाली इन परियोजनाओं पर खर्च हो चुके करोड़ों रुपये की राशि देश की जनता के गाड़े पसीने की कमाई है। जिसकी खुलेयाम लूट जनता के सामने ही हुई है। मगर बैवस जनता इस लूट और अत्याचार दे ाने क्यों मजबूर है ?
रहा सवाल सिन्ध जलाबर्धन परियोजना और सीवर लाइन परियोजना बनाने से लेकर, क्रियान्वयन तक तो इतने सवाल है जिनका जबाव जनता को सरकारों से लेना चाहिए। जिसके वोट से सरकारों के अस्तित्व मौजूद है।
जिस तरह से स्थानीय लेागों की भावनाओं और व्यवहारिकताओं को दरकिनार कर वाला वाला कन्सलटेन्टो के माध्ययम से परियोजना बनी और क्रियान्वयन शुरु हुआ वह बड़ा ही हास्यपद है। जिसमें हद तो तब है जब एक मात्र उपयंत्री के भरोसे 82 करोड़ की लागत वाली अहम योजना को छोड़ दिया गया। ठेकेदार द्वारा न तो कोई वर्क प्लान रखा नहीं उससे मांगा गया और मनचाहे ढंग से क्रियान्वयन भुगतान शुरु कर दिया गया हद तो तब हो गई जब ठेकेदार बैंक गारन्टी तक ले गया, आखिर कैसे ?
रहा सवाल सीवर का तो इसमें भी वहीं कहानी दोहराई गई, मैन सीवर लाइन जो अहम थी उसका तो आज तक टेन्डर ही नहीं हो सका हुआ भी तो आज तक क्रियान्वयन को नहीं हुआ जबकि राईजिंग लाइनो पर करोड़ों रुपया फूंक दिया गया। इसमें भी बगैर वर्क प्लान के ही कर्त शुरु हो भुगतान का क्रम शुरु हो गया क्यों ?
अब इसे शहर वासी सडनली घटना समझे या ठेकेदारों का सुनियोजित लूट का षडय़ंत्र जबाव आना चाहिए क्योंकि शहर वासी बहुत परेशान है।
COMMENTS