व्ही.एस.भुल्ले@तीरंदाज। भैया- मुये काड़ू की जवान काली हो, बोल्या दिल्ली के नाग लेाक में हड़कंप मचा है अगर एक नस्ल के 2-3 अंश बचे है, त...
व्ही.एस.भुल्ले@तीरंदाज।
भैया- मुये काड़ू की जवान काली हो, बोल्या दिल्ली के नाग लेाक में हड़कंप मचा है अगर एक नस्ल के 2-3 अंश बचे है, तो शेष दिल्ली में मौजूद अन्य दलो का तो, अस्तित्व ही नष्ट हो गया। आखिर ये कमाल कैसे हुआ भाया ?
भैये- पहले तो तू तने सवाल ठीक कर, फिर खुद की वाणी को केजरीवाल की तरह कर, बरना थारा हर्ष भी हारी महान कॉग्रेस और हारी महान केडर वैस वाली पार्टी की तरह होगा जिसमें एक का तो नाम लेवा, पानी देवा न रहा तो दूसरा इस हालत में है कि उसका तो विपक्ष में बैठने का हक ही नैतिक तौर पर जाता रहा। कै थारे को मालूम कोणी दिल्ली दिल वालो की है न कि जान लेने वालो की तो फिर दिल्ली नागलेाक कैसे हुई। नागलेाक में तो जहरीले सांप सपोले रहते है जिनके प्रहार से बचाने नाग लेाक के देवता स्वयं नागलोक में रहते है। कहीं थारा इसारा कुटिल राजनीति के उस्तादों की तरफ तो नहीं जहां नाचने की कवायत उल्टी हो ली है। अब बीन पर सांप नहीं सांप की फुंकार पर बीन नाचती नजर आती है।
भैया- मने तभी तो बोल्यू, मिट्टी पड़े मुये काड़ू के मुंह पर, जो मने दिल तो दिल हारी जुबान भी गन्दी कर गया। मने तो जो हूं, सो हूं, अब तो दिल्ली दरबार से हारे दल का ही पत्ता साफ हो लिया।
भैये- तने क्यों बावला शै थारे को तो अब खुश होना चाहिए और थारे आलाकमान को भी खुश रहना चाहिए जो उसे सत्ता की तोहमत और सदन की व्यवस्थताओं से मुक्ति तो चापलूस चाटूकार सलाहकारों को भी काम से छुट्टी मिल गयी। मामला साफ है जनता के बीच जाओ 5 वर्ष तक संघर्ष करो फिर संगठन और सत्ता को मुंह दिखाओ। तो इसमें हर्ज ही क्या ?
भैया- मने समझ लिया थारा इसारा जिस बात के लिये कॉग्रेस कार्यकत्र्ताओं की टोली डकरा रही थी गरीब जनता बार-बार मायूस हो चिल्ला रही थी। मगर नीरोओ की टोली ने स्वार्थ बस कुछ न सुना और देश के आम मजदूर,किसान,गरीब की चीथ पुकार सुनते-सुनते, दिल वालो की दिल्ली भी बैठ गई। मगर किसी ने न सुना, सच बोल्यू तो ााया अब तो हारे दल की जिन्दगी और मौत का सवाल है न तो सर हाथ, पैर बने प्रदेश सहित मध्य में कुछ बचा है। न ही कोई डाक्टर ऐसा दिख रहा है। जो अचेत पड़ी हारी कॉग्रेस में जान फूक उसे खड़ा कर सके। फिलहॉल तो भाया मैड इन राहुल का ही बैन्टीलेटर बचा है। मगर कै करु वहां पर जाने से पहले ए स की तरह किसी न किसी नेता, चाटूकार, चापलूस की पर्ची लगेगी। तब कॉग्रेस को प्राण रक्षा प्रणाली मिल सकेगी।
काश मने भी भैया राहुल से स पर्क कर पाता और हाथो हाथ अचेत पड़ी कॉग्रेस बचाने बेन्टीलेटर ले आता। बोल भैया कैसी रही।
भैये- मने तो लागे थारी भ्रकृटी भी वहीं अड़ी है जहां कॉग्रस बचाने युवा तुर्को की फौज समुचे भारत में अपने नेता के इन्तजार में आज भी खड़ी है। दिल्ली को तो केजरी और देश को मोदी मिल गया। कॉग्रेस को कोई कब मिलेगा, फिलहॉल भविष्य के गर्भ में है।
भैया- मैं जाड़ू थारे जैसे चिन्दी पन्ने वालो को, तभी आम कॉग्रेसी आज भी भारत महान के लिये निढाल होकर अकेले ही लड़ रहा और अघोषित सतत सत्ता का सम्राज्य बढ़ाने और चलाने वालो के खिलाफ थारे जैसा चिन्दी पन्ने पढ़ रहा है, बरना चमचमाती हाई प्रोफाईल राजनीति कर और सत्ता की मलाई झपक, मल्टी कलर अखबार, टी.व्ही. चैनलो के बीच मने भी चमक देश भक्त, बन जाता क्यों आज भी 0 देखकर गर्व से चिल्लाता कि कॉग्रेस महान है। चल गया तो जादू, चूक गये तो मौत, कंपनी का प्रचार है।
उद्यानिकी को बढ़ावा और विस्तार के लिए बेहतर प्रयास : शासकीय स्टॉल में किसानो को मिल रही जानकारी
रायपुर, 14 फरवरी 2015 राजिम कुंभ में उद्यानिकी विभाग की प्रदर्शनी भी बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान खींच रही है। गरियाबंद और धमतरी जिलो में उद्यानिकी फसलो को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा विशेश पहल की गई है। इसकी आकर्षक झांकियां प्रदर्शनी में दिखाई जा रही है। इन जिलो से बहने वाली नदियो के आसपास के इलाको के ग्रामीण किसानो की अभिरूचि को देखते हुए शासन ने उद्यानिकी फसलो का विकास और विस्तार किया है। जिससे इस इलाके के किसानो ने मुख्य फसल के साथ उद्यानिकी फसल को भी अपनी आय का जरिया बना लिया है। प्रदर्शनी में किसानो को उद्यानिकी फसलो के उत्पादन और तकनीक के बारे में जानकारी दी जा रही है। ज्ञात हो कि इस क्षेत्र में पानी की पर्याप्त उपलब्धता और तटीय क्षेत्र में सब्जी उत्पादकों की संख्या को देखते हुए विभाग द्वारा विशेष रूप से किसानों को उद्यानिकी फसलो को बढ़ावा और विस्तार देने के लिए संचालित योजनाओं के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। इस विभागीय स्टॉल के माध्यम से धमतरी, गरियाबंद, रायपुर एवं दूरदराज क्षेत्र से आये किसानो को राज्य शासन द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी जा रही है जिससे किसानो को लाभ हो रहा है।स्टॉल प्रभारी ने बताया कि नदी कछार व तटो पर लघु सब्जी उत्पादक समुदायो को प्रोत्साहन देने की योजना है। इसके अंतर्गत नदी कछार और तटीय क्षेत्र में खेती करने वाले बी.पी.एल एवं लघु सीमान्त कृषको को लाभान्वित करने की योजना है। इस योजना के अंतर्गत प्रति हितग्राही न्यूनतम 0.25 हेक्टेयर एवं अधिकतम 0.4 हेक्टेयर क्षेत्र हेतु लाभ देने का प्रावधान है। 0.4 हेक्टेयर क्षेत्र में अनुमानित लागत राशि 9400 रूपये पर 50 प्रतिशत अर्थात राशि 4700 रूपये अनुदान की पात्रता है।
शिक्षा के माध्यम से ही विकसित राष्ट्र का निर्माण स भव-खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री
जयपुर 14.फरवरी । खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री श्री हेमसिंह भडाना ने कहा है कि शिक्षा के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है। शिक्षा ही उसे स पूर्णता की और ले जाती है। शिक्षा से ही विकसित राष्ट्र का निर्माण स भव है । खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री श्री भडाना शुक्रवार को अलवर के खैरथल में जै स विद्यालय के वार्षिकोत्सव में मु य अतिथि के रूप में स बोधित कर रहे थे। उन्होंने युवा विद्यार्थियों से अनुशासित रहकर समय के महत्व को समझने का आह्वाहन किया।
श्री भडाना ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को संस्कारवान बनाती है। उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रदर्शन को देखकर हर्ष जताते हुए विद्यालय प्रबन्धन को बधाई दी । इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष किशनगढ़बास के विधायक श्री रामहेत यादव ने युवाओं को बेहतर भविष्य के लिए समय के सदुपयोग की सीख दी । इस मौके पर विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती अमनदीप कौर द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को इस अवसर पर मु य अतिथि द्वारा स मानित भी किया गया।
राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव-2015 'वनज' का दूसरा दिन
Ù§üU çÎËËæè राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव 'वनज' के दूसरे दिन आज नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में नई चहलगहमी देखने को मिली जब केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल उरांव ने नई गतिविधियों का उद्घाटन किया। इस मौंके पर श्री उरांव ने कहा कि यह मौका हमें भूतकाल में ले जाता है। विशेषकर यह हमें आदिवासी साप्ताहिक हाट की याद दिलाता है जहां हम मनोरंजन के साथ-साथ गांव के इन बाजारों से रोजमर्रा की सामग्रियां खरीदा करते थे। उन्होंने कहा कि यह सप्ताह शहर में रहने वाले लोगों को देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों से सीधे संपर्क करने का मौका प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के संपर्क हमारे विविध संस्कृति व समाज में एकजुटता की भावना को मजबूत करता है। आईजीएनसीए फिलहाल ग्रामीण आदिवासी बाजार और सांस्कृतिक मंच के रूप में तबदील हो चुका है। जहां दर्शकों को ग्रामीण शिल्प, दवाएं और जड़ी-बुटियों से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। ये सारे कार्य इसलिए किये जा रहे ताकि देश की संपन्न आदिवासी संस्कृति, कला, चित्रकला, संगीत, नृत्य, आदिवासी दवाएं, खान-पान और विशेषकर आदिवासी व्यंजन की विविधता को प्रदर्शित किया जा सके। इस मौके पर आईजीएनसीए सभागृह में वृत चित्रों 'लोढा-ए सिलवान कम्यूनिटी' और 'प्रकृति की सन्तान-मिसिंग ट्राइब' को भी दिखाया गया। साथ ही पारम्परिक आदिवासी ज्ञान, सूझ-बूझ और कौशल पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस विस्तृत जानकारी के लिए दर्शक www.tribal.nic.in और www.tribal.gov.in पर संपर्क कर सकते हैं।
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