शासन जो भी हो उसे चलाने वाले तो आखिर आते ही उस समाज से है जो एक निर्धारित भू-भाग पर संगठित रुप में रह किसी भी व्यवस्था को स्वीकार कर रहत...
शासन जो भी हो उसे चलाने वाले तो आखिर आते ही उस समाज से है जो एक निर्धारित भू-भाग पर संगठित रुप में रह किसी भी व्यवस्था को स्वीकार कर रहते हो। जिससे एक राष्ट्र खड़ा होता है। व्यवस्था जो भी हो राजतंत्र, या फिर लेाकतंत्र उसके अस्तित्व का भी दारोमदार उन्हीं समाजो पर अश्रित होता है। जिसके द्वारा स्थापित संविधान के तहत सरकारे शासक बनते है और जनकल्याण हेतु, राष्ट्र को मजबूत, और खुशहाल बनाने शासन करते है।
अब उस शासन में सुशासन हो या फिर कुशासन यह उस राष्ट्र के समाजो, सामाजिक पर पराओं, सिद्धान्तों और संस्कारो पर निर्भर करता है। क्योंकि वहीं उस राष्ट्र की व्यवस्था का प्रतिबिन्ध भी होता है। बात सिर्फ इतनी सी है कि हमारे महान भू-भाग और लेाकतंत्र में सुशासन की शुरुआत हमारे देश में मौजूद विभिन्न समाजो नागरिको द्वारा दिये गये मत के आधार पर चुनी गई सरकार ने की है। वो भी वकायदा सुशासन दिवस के रुप में अर्थात 25 दिस बर बड़े दिन और हमारे पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल जी के जन्म दिन के अवसर पर मगर जब सुशासन की शुरुआत देश में हो ही चुकी है तो यहां यह यक्ष सवाल यह अवश्य बनता है कि इसकी शुरुआत कैसे और कहां से हो मगर यहां यह भी स्पष्ट है कि इसकी शुरुआत भारत सरकार ने शासन स्तर से जिसमेें सरकार और शासन के नुमाइन्दो ने खासी शिरकत की। निश्चित ही विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के धनी राष्ट्र मेें सुशासन की शुरुआत सरकार का सराहनीय कदम है। और स्वागत योग्य भी क्योंकि जो हालात हमारे देश में समाज, धर्म राजनीति और आर्थिक क्षेत्र के है। वह किसी से छिपे नही, ऐसे में सुशासन की शुरुआत सरकार का वाक्य में ही साहसिक और दूरगामी कदम हो सकता है।
मगर जिस तरह से स्वार्थ, अर्थ और एकांगी अंहकार ने चारों क्षेत्रों को अपनी जकड़ में ले रखा है, वह भी बगैर किसी बेहतर भविष्य के सपने लिये, उसके चलते आज आम व्यक्ति अपनो के ही बीच अकेला खड़ा कलफ रहा है। न तो उसके अन्दर सुरक्षा का कोई भाव है और न ही सुशासन की दूर-दर तक कोई उ मीद।
कारण साफ है समाज, स्वार्थ, राजनीति मोह, और धर्म और अर्थ, अंहकार के पंगू बने हुये है आस्थाओं का स्थान वस्त्र और सत्य का स्थान झूठ ने ले रखा है।
आखिर ऐसे में सुशासन लाने की शुरुआत सरकार और शासन स्तर पर ही नहीं समाज, राजनीति, धर्म और अर्थ के क्षेत्र में भीहोना चाहिए। और यह तभी स भव है, जब हम हमारी स्थापित सेंकड़ो वर्ष पुरानी शिक्षा, स यता, सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक पर पराओंं पर लौटे, जिसे देख ब्रितानियां हुकूमत के सर्वश्रेष्ठ विद्वान लार्ड मेकाले को भी ब्रिटेन की संसद में अपने प्रस्तुत प्रतिवेदन में कहना पढ़ा कि मैंने विश्व भर की यात्राये की मगर मैंने भारत जैसा खुशहाल, स पन्न भू-भाग कहीं नहीं देखा। अगर इसे मनमाफिक बनाना है तो इसकी शिक्षा नीति में बदलाव लाना होगा।
दुर्भाग्य कि हम आज भी आजादी 67 वर्षो बाद लार्ड मेकाले की शिक्षा नीति के गुलाम बन पीढ़ी दर पीढ़ी अपने विनाश में लगे हुये है। अगर सुशासन लाना है तो सर्व प्रथम शिक्षा नीति में सिरे से बदलाव जरुरी है तभी हम सुशासन ही नहीं स य संस्कारिक स्वस्थ शक्तिशाली स पन्न खुशहाल राष्ट्र बन पायेगे। बरना जो हाल आज हमारा हमारी शिक्षा, नीति और उससे उपजे संस्कारो ने ले रखा है,उससे बहुत ज्यादा उ मीद नहीं की जानी चाहिए।
ओला-पाला प्रभावित परिवारों को मार्च तक मिलेगा रियायती दर पर खाद्यान्न खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने जारी किये हैं आदेश
भोपाल : गुरूवार, जनवरी 1, 2015, प्रदेश में रबी विपणन वर्ष 2013-14 में ऐसे किसान परिवार, जो ओला-पाला से प्रभावित हुए थे, उन्हें मार्च, 2015 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के प्रावधान के अनुसार रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जायेगा। इस संबंध में खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने आदेश जारी कर कलेक्टर्स को निर्देश जारी किये हैं। निर्देश में कहा गया है कि वर्ष 2015-16 में गेहूँ उपार्जन का कार्य 15 मार्च, 2015 से प्रारंभ किया जायेगा।
आदर्श आचार संहिता के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों के प्रयोग पर लगा प्रतिबंध
बलौदाबाजार-भाटापारा 1 जनवरी 2015 कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री राजेश सुकुमार टोप्पो द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत आम निवार्चन के दौरान प्रत्याशियों द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्र का चुनाव वाहनों पर तथा चुनावी सभाओं में बिना अनुमति के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। लोक शांति को ध्यान में रखते हुए कोलाहल अधिनियम 1985 की धारा 4 में प्रदत्त शक्तियों के तहत शैक्षणिक संस्थाओं, चिकित्सालय, नर्सिंग होम, न्यायालय परिसर, शासकीय कार्यालय, छात्रावास, स्थानीय निकाय, बैंक, पोस्ट आफिस, दूरभाष केन्द्र आदि से 200 मीटर दूरी के भीतर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग सामान्य स्थिति में भी पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों चुनाव वाहन, आमसभाओं, जुलूस तथा धार्मिक आयोजनों के लिये ध्वनि विस्तार यंत्रों के उपयोग की अनुमति अनुविभागीय दण्डाधिकारी, तहसीलदार एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारी द्वारा दी जा सकेगी। यह अनुमति किसी भी परिस्थिति में रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे के बीच की अवधि के लिये नहीं दी जा सकेगी।
महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए राजस्थान पुलिस का अभिनव प्रयोग
जयपुर, एक जनवरी। महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए पहल करते हुए राजस्थान पुलिस ने एक अभिनव प्रयोग प्रार भ किया है, जिसमें पीडित महिलाएं और आम आदमी अपनी परेशानी को वाट्सअप मोबाईल न बरों पर वीडियो रिकॉडिंग/क्लिपिंग/ऑडियो क्लिपिंग/फोटो या वायस मैसेज द्वारा भेज सकते है। जिस पर कन्ट्रोल रूम के माध्यम से थानों, मोबाईल वाहनों, सिग्मा व चेतकों के माध्यम से कार्यवाही की जायेगी। महानिदेशक पुलिस, श्री ओमेन्द्र भारद्वाज ने बताया कि महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण हेतु राजस्थान पुलिस का अभिनव प्रयोग से इस नवाचार को प्रायोगिक तौर पर जयपुर आयुक्तालय, जोधपुर आयुक्तालय एवं कोटा शहर में प्रार भ किया गया है। इन तीनों शहरों के वाट्सअप न बरों से स पर्क कर अपनी समस्या से अवगत कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पीडित महिला शरारती तत्वों के मौके पर से ही वाहनों के न बर और फोटो व व्यक्ति की फोटो भी भेज सकती है, जिस पर संबंधित व्यक्ति व वाहन की पहचान कर उसके विरूद्घ कार्यवाही की जायेगी।
वाट्सअप के मोबाईल न बर इस प्रकार है
(अ) जयपुर आयुक्तालय :- 08764868100/08764868200
(ब) जोधपुर आयुक्तालय :- 09530440800
(स) कोटा शहर :- 09468800005
इस नवीन प्रयोग से महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा को बनाये रखने के लिए जन सहयोग से राजस्थान पुलिस के प्रयास अधिक प्रभावी होगें।
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