नैतिक,सामाजिक सरोकारों के इर्दगिर्द मशक्कत करता शिवपुरी प्रशासन परिणामों को लेकर भले ही छटपटा रहा हो मगर आम आदमी को आज भी राहत नहीं। आम गर...
नैतिक,सामाजिक सरोकारों के इर्दगिर्द मशक्कत करता शिवपुरी प्रशासन परिणामों को लेकर भले ही छटपटा रहा हो मगर आम आदमी को आज भी राहत नहीं। आम गरीब आज भी नंगी कुव्यवस्था के चलते हर सुबह दंश झेलने पर मजबूर है।
इस मुद्े को लेकर शिवपुरी में लम्बी चौड़ी बहस हो सकती है, मगर हकीकत यही है। तभी तो जन सुनवाई में आते थोकबंद आवेदन यह कहते नहीं थकते कि लेाग परेशान है। आखिर क्या कारण है। जो जिला प्रशासन की लाख मशक्कत के बाबजूद राहत की सांस नहीं ले पा रहा है।
चाहे वह खाद्य वितरण, बिजली,शुद्ध पेयजल,स्वास्थ शिक्षा,सहित राजस्व और आवास के मामले हो हर जगह लेागों को शिकवा ही नहीं सम्पूर्ण शिकायत है। भूमि मालिक भूमिहीन हो दर-दर भटक रहे है। बिजली,राशन वाले सरेयाम जिला प्रशासन को धता बता रहे वही स्वास्थ,शिक्षा,शुद्ध पेयजल वाले नई-नई दलील दिये जा रहे है। मगर आम गरीब को इन्साफ आज भी नही।
देखना होगा कि 1200 से अधिक गांवों वाले व 18 लाख के करीब जनसंख्या वाले शिवपुरी जिले में क्या संवेदनशील प्रशासन बैठकों से इतर क्या कुछ कर पाता है। या फिर समय की नजाकत मान आम गरीब 65 वर्षो से कुव्यवस्था का दंश झेल चुप चाप बैठ जाता है।
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